________________
( द )
विद्याचरण मुनियोंने जिनप्रतिमा नहीं बांदी है" यह लिखना सर्वथा असत्य है, क्योंकि श्रीभगवती सूत्र शतक २० उद्देशे ९ में जंघाचारण तथा विद्याचारणमुनियोंका अधिकार है, जिसमें उन्होंने जिनप्रतिमा बांदी है, ऐसे प्रत्यक्षरीतिसे कहा है तिसमें से थोड़ासा सूत्रपाठ इस ठिकाने लिखते हैं । यतः
जंघाचारस्त्रणं भंते तिरियं केवइए गति बिसए पन्नत्ता गोयमा सेणं इत्ती एगेणं उप्पा एणरुचगवरे दीवे समोसरणं करेड करइत्ता तहिं चेइआई वंद वंदइत्ता तओ पडिनियत्त माणे बीइरणं उप्पारणं गंदीसरे दीवे समोस रण करेद्र तहिं चेइआई वंदइ बंदत्ता इह मागछइ इह चेइयाइं वंदइ जंघाचारस्सचं गोयमा तिरियं एवइए गतिविसए पन्नत्ता । जंघाचारस्सणं भंते उद्धं केवइए गई विसए पन्नत्ता गोयमा सेणं इत्तो एगेणं उप्पाएगं पंडगवणे समोसरणं करेइ करइत्ता तहिं चेह्न आइंवंदइ वंदइत्ता तपडिनियत्तमाणे बि तिएां उप्पारगं गंदणवणे समोसरणं करइ करइत्तातहिंचेइआइं वंदइ वंदइत्ताइह माग