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________________ (१०) गौतम स्वामी अष्टापद पर चढे. दशवे प्रश्नमें जेठा कुमति लिखता है कि 'भगवंतने गौतमस्वामीको कहाकि तुम अष्टापद की यात्रा करो तो तुमको केवलज्ञान होवे " यह लिखना महा असत्य है शास्त्रों में तो ऐसे लिखा है कि "एकदा श्रीगौतमस्वामीभगवंतसे जुदे किसी स्थान में गये थे, वहां से जब भगवंतके पास आए तब देवता परस्पर बातें करते थे कि भगवंतने आज व्याख्यानावसरे ऐसे कहा है कि जो भूचर अपनी लब्धिसे श्रीअष्टापद पर्वतकी यात्राकरे सो उसी भवमें मुक्तिगामी होवे,यह बात सुनकर श्रीगौतमस्वामीने अप्टापद जानेकी भगवंतके पास आज्ञा मांगी तब भगवंतने बहुत लाभका कारण जानकर आज्ञा दीनी; जब यात्रा करके तापसोंको प्रतिबोध के भगवंतके समीप आए तब( १५०० ) तापसोंको केवलज्ञान प्राप्त हुआ जानकर श्रीगौतमस्वामी उदास हुए कि मुझे केवलज्ञान कब होगा ? तब श्रीभगवंतने द्रूमपत्रिका अध्ययन तथाश्रीभगवतीसूत्र में चिरसंसिटोसि मे गोयमा इत्यादि पाठोक्त कहके गौतमको स्वस्थ किया" यह अधिकार श्रीआवश्यक, उत्तराध्ययन नियुक्ति, तथा भगवतीवृत्तिमें कहा है,परंतु भाग्यहीन जेठेको कैसे दिखे?कौएका स्वभावही होता है कि द्राक्षाको छोड़कर गंदकीमें चुंजदेनी, जेठा लिखताहै कि भगवंतने पांच महावतऔर पंचवीस भावनारूप धर्म श्रेणिक,कोणिक, शालिभद्र,प्रमुखके आगे कहाहै परंतु जिनमंदिर बनवानेका उपदेश दिया नहीं है" यह लिखना मुर्खताईका है क्या इनके पाससे मंदिर बनवानेका इनकोहीउपदेश देना भगवंतकाकोई जरूरी काम था ? तथापि उनके बनाये जिनमंदिरोंका अधिकार सूत्रोमें बहुत जगह है तथा हि :
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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