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________________ दो प्रकारके तीर्थ शास्त्रमें कहे हैं (१) जंगमतीर्थ और (२) स्थावरतीर्थ,जंगमतीर्थ साधु,साध्वी,श्रावक और श्राविका चतुर्विध संघको कहते हैं और स्थावरतीर्थ श्रीशनुजय, गिरनार, आबु, अप्टापद, सम्मेदशिखर, मेरुपर्वत, मानुषोत्तरपर्वत, नंदीश्वरद्वीप, रुचकद्वीप वगैरह हैं,और तिनकी यात्राजंघाचारण विद्याचारणमुनि भी करते हैं, और तीर्थयात्रा का फल श्रीमहा कल्पादि शास्त्रों में लिखा है; परंतु जिसके हृदयकी आंख नहोवे उसको कहांसे दिखे और कौन दिखलावे ? जेठा लिखता है कि "पर्वत तो हट्टीसमान है वहां हुंडी शीकारने वाला कोई नहीं है" वाह ! इस लेखसे तो मालूम होता है कि अन्य मतावलंबी मिथ्याप्टियों की तरां जेठाभी अपने माने भगवान्को फल प्रदाता मानता होगा ! अन्यथा एसा लेख कदापि न नदीश्वर भादि दोषोम, पाताल भवनो में जो गास्वते चैत्य हे, तिन को में बदना करता , तथा इसी तरह प्रष्टापद उज्जयतगिरि (शत्रुजय तया गिरनार) जाग्रपद (दगार्णकूट) धर्मचक तक्षशिला नगरी में, तथा पहिच्छत्रा नगरी जहां धरणेंद्रने श्रीपार्श्वनाथ स्वामी की महिमा पारी थी, रथावर्त पर्वत जहा श्रीवजस्वामीने पादपोपगमन अनशन करा था, और जहा श्रीमहावीरस्वामीका शरण ले कर चमरेंद्रने इत्यतन करा था,इत्यादि स्थानोमें यथा संभव अभिगमन, बदम, पजन, गणोत्कीर्तनादि क्रिया कारनेसे दर्शन शुरि होती है तथा यह गणित विषय में बीजगणितादि (गणितान योग) का पारगामी है,पष्टांगे निमित्त का पारगामी है, दृष्टिपातोमा नाना विध युक्ति द्रव्य संयोगका जानकार है, तथा इमको सम्यकवसे देवता भी चलायमान नही कर मकते है,इसका जान यथार्थ है जैसे कथन करे हैं तैसे ही होता है इत्यादि प्रकार प्रावचनिक अर्थात् प्राचार्यादिक की प्रशसा करने से दर्शन शुधिहोती है इस तरह औरभी भाचार्यादिके गप्प महात्म्यके वर्णन करने से, तथा पूर्व मार्षियों के नामोत्कीर्तन करनेसे, तथा सरनरेंद्रादिकी करी तिगकी पूजाका वर्णन करने से,तथा चिरंतन चैत्याको पूजा करने से इत्यादि पाता क्रिया करने वाले जीवकी तथा पूर्वोक्त क्रिया की वासनासे वासित है अतःकरण जिमका उस प्राणी की सम्यक् शुषिोती है यह प्रशस्त दशन (सम्यक्व) सबंधी भावना जागनी, इति,
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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