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________________ ( ३० ) (२९) सुभूम चक्रवत्ति सातवा खंड साधने गया । (३०) मेघरथ राजाने परेवड़ा (कबूतर ) बचाया ॥ (३१) श्री नेमिनाथ राजेमतीके नवं भव । (३२) राजेमतीके बापका नाम: उग्रसेन । (३३) श्रीपार्श्वनाथस्वामीने नाग नागनी बचाये । (३४) श्री पार्श्वनाथस्वामीको कमठ ने उपसर्ग किया 1, (३५) श्री पाश्र्वनाथ स्वामीके दश भव । (३६) श्री ऋषभदेव के जीवने धन्नाशेठ के भव में घतकी दान दिया (३७) श्रीढंढण मुनिका अधिकार 1 (३८) श्रीवलभद्र मुनिने वन में मृगको प्रतिबोध किया। (३९) श्रीमेतारज मुनिका अधिकार | (४०) सुभद्रा सतीका अधिकार । (४१) सोलां सतियों के नाम । (४२), श्रीधन्ना, शालिभद्रका अधिकारः । (४३) श्रीथूलभद्रका अधिकार ।' (४४) निरमोही - राजा का अधिकार ! (४५) गुणठाणा द्वार (४६) उदयाधिकार : १२२ प्रकृतिका त (४७) बंधाधिकार १२० प्रकृतिका । (४८) सत्ताधिकार १४८ प्रकृतिका । (४९) दश प्राण । (५०) जीवके - ५६३ भेदकी बडी गतागती । (५१) बासठीये की रचना | (५२) भृगुपुरोहितादिके पूर्व जन्म का वृत्तान्त
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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