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________________ गाम की बनीयाणी को लेके भाग गया है * यह तुमारे (ढुंढकके) दया धर्म की उदय उदय पूजा हो रही है ? । (२२) माल उगटावते हो (२३) आधाकर्मी पोसाल में रहते हो (२४) मांडवी (विमान) कराते हो (२५) टीपणी (चंदा) कराके रुपैये लेते हो (२६)गौतम पढघा कराते हो यह पांचों प्रश्न असत्य हैं, क्योंकि संवेगी मुनि ऐसे नहीं करते हैं, परंतु २३ में तथा २४ में प्रश्न मूजब ढुंढकों के रिख करते हैं । (२७) संसार तारण तेला कराते हो (२८) चंदन बाला का तप करते हो, यह दोनों प्रश्न ठीक है; जैसे शास्त्रों में मुक्तावलि कनकावलि, सिंहनिः क्रीडितादि तप लिखे हैं; तैसे यह भी तप है, और इस से कर्म का क्षय, और आत्मा का कल्याण होता है। (२९)तपस्या कराके पैसा लेने हो(३०)सोना रूपाकी निश्रेणी (सीढी) लेते हो(३१)लाखा पड़वा कराते हो,यह तीनों ही प्रश्न मिथ्या हैं। (३२) उजमणां कराते हो लिखा है,सो सत्य है, यह कार्य उत्तम है, क्योंकि यह.श्रावक का धर्म है,और इस से शासन की उन्नति होती है,तथा श्राद्धविधि,संदेहदोलावलि वगैरह ग्रंथों में लिखा है ॥ (३३) पूज ढोवराते हो-सो श्रावक की करणी है,और श्रीजिन मंदिर की भक्ति निमित्त करते हैं। (३४) श्रावक के पास मुंडका दिलाके डुंगर पर चढते हो। यह असत्य है, क्योंकि अद्याप पर्यंत किसी भी जैनतीर्थ पर साधु का मुंडका नहीं लिया गया है । * जगगवा जिम्मा लधियाना में रूपचद के दो साधु और अमरसिंह की साध्वी का संयोग एपा और पाधान रह गया मुना है, तथा बनड में एक साधु में अपना पकायें गोपने के वास्ते छप्पर को पाग नगादो ऐसे मना है और समाणे में एक टुंट क साध को अकार्य की शका से श्रावकों ने बारी में बैठने से रोक दिया पट्टी में एक परमानंद के चेले के प्रकार्य से टुंदक श्रावक रात्रि के वक्त थानक को तामा सगाते थे।
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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