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________________ (१५) मे प्रश्न में "लड्डुप्रतिष्ठाते हो"लिखा है सो असत्य है (१६) सात क्षेत्रों निमित्त धन कढाते हो (१७) पुस्तक पूजाते हो (१८) संघ पूजा कराते हो और संघ कढाते हो (१९) मंदिर की प्रतिष्ठा कराते हो (२०) पर्युषणा में पुस्तक देके रात्रि जागा कराते हो यह पांच प्रश्न सत्य हैं क्योंकि हमारे शास्त्रों में इस रीति से करना लिखा है जैसे ढूंढक दीक्षा ढूंढक मरण में तुम महोत्सव करते हो ऐसे ही हमारे श्रावक देवगुरु . संघ श्रुत की भक्ति करते हैं और इस करने से तीर्थंकर गोत्र बांधता है यह कथन श्राज्ञाता सूत्र बगैरह शास्त्रों में है इसको देख के तुमारे पेट में क्यों शूल उठता है ? इन कामों में मुनि का तो उपदेश है, आदेश नहीं ॥ . . (२१) में प्रश्न में लिखा है"पुस्तक पात्र वेचते हो"इसकाउत्तर- हमारा कोई भी साधु यह काम नहीं करता है, करे तो वो साधु नहीं; परंतु मुंह बंधे ढूंढक और ढूंढकनीयां करती हैं, दृष्टांत (१) अजमेर में ढूंढनीयां रोटीयां वेचती हैं (२) जयपुर में चरखा 'कांतती हैं (३) बलदेव गुलाब नंदराम और उत्तमचंद प्रमुख रिख कपड़े वेचते हैं (४) भियाणी में नवनिध ढूंढक दुकान करता है (५) दिल्ली में गोपाल ढूंढक हुके का तमाकु बनाके वेचता है (६) बीकानेर और दिल्ली में ढूंढनीयां अकार्य करती हैं (७) कनीराम के चेले राजमल ने कितने ही अकार्य किये सुने हैं (८)कनीराम का चेला जयचंद दो ढूंढक श्राविकायों को लेके भाग गया ओर कुकर्म करता रहा (१) बोटाद में केशवजी रिख पछम महोत्सव पूर्वक नगरमें शहरवाले लायेथे तथा एशियारपुर में सोहनलाल ढूंटक के चौमा से में मोनी के परिवार में पुत्रोत्पत्ति के हर्ष में महोत्सव पूर्वक स्वामी जी के दर्शनार्थ भाए ये पुत्र को चरणों पर लगा के सबू वांटके बडी पुसी मनाई थी।
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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