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________________ ( ३०५ ) सवैया-पोष पूजा कर प्यारी चढ़ हाथ की अंधारी त्याग गधेकी सवारी राम आतमा मिलाइये, देख विजयजी आनंद चढ़े जगतमें चंद तेरे काटे पापफंद मिल सम्यक् सुहाइये, मुनि संतके महंत है अनंत गुणकत प्रभु आज्ञा सुहंत ऐसे सतगुरु ध्याइये, घटामेघ की वरष मन मोरके हरष स्वान जाने न परष कैसे सतगुरु पाइयो१० ___ कुंडलीछंद-जानो आवश्यक कहे राय उदायन भाष राणी तस परभावतीनिजघर मंदिरसाष,निजघरमंदिर सावआयनितपूजाकरदे पुष्पालंकृत धूप दीप नैवेद सुधरदे, ऐसा मरम सूत्र क्यों कुमत ना मानो राय उदायन पाठ कहे आवश्यक जानो सवैया-महां कुमति महंत हिये जरा बी ना संत करे पाप सो अनंत मुखें दया दया आखदे, दयाका न जाने मरम छोड बैठे जैन धर्म ऐसे करे दुष्ट करम मरम न चाखदे। मुखों पंडित कहा- पाठ छोड छोड जावें अर्थ वाचना न आवे सो मनुक्त बैन आखदे। जैसे चंदकी चदाई चामचिड़ नैन खाई सो चकोर मन भाई पजा सुगुरु प्रकासदे। कुंडली छंद-कमला केतक भ्रमर जिम सूतर प्रीति आधार। मूंड कुमति जाने नहीं कमल सूत्रकी लार । कमलसूत्रकी सार चार निखेप खाने,ये अनुयोग दुवार नय सागर नही जाने,भत्त पइन्ना पाठ जैनमंदिर कर अमला,श्रावक जो बनवायें भ्रमरसे जैसे कमला ___ सवैया-फागण जो फूली वारी मिलीबाणी सुधा प्यारी फली सम्यक् उजारी ज्ञान बन सरकाईये, नैन जैनके जगावो संग सुगुरु का चावो वाना मर्म युत पावो नैन नींद की खुलाईये,साखी सूतर की दाखी कछुनिंदिया न भाखी जेडे जैन अभिलाषी साखी भाखी
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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