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________________ (२५) अध्ययन पढ़े चौदह वर्षकी पर्यायवाला सुवर्णभावना अध्ययन पड़े, पंदरह वर्षकी पर्यायवालाचारणभावना अध्ययन पढे,सोलह वर्षकी पर्यायवाला तेयनिसग अध्ययन पढे, सतरह वर्षकीपर्यायवाला आशीविष अध्ययन पढे, अठारह वर्षकी पर्यायवाला दृष्टिविष भावना अध्ययन पढे, उन्नीस वर्षकी पर्याय वाला दृष्टिवाद पढे. और वीस वर्षकी, पर्यायवाला सर्व सूत्रों का वादी होवे। - मूढमति ढूंढिये कहते हैं कि श्रावक सूत्र पढ तो उन श्रावकोंके चारित्रकी पर्याय कितने कितने वर्षकी हैसो कहो ? अरे मूढमतियो! इतनाभी विचार नहीं करते हो कि सूत्रमें साधुकोभी तीनवर्ष दीक्षा पर्याय पीछे आचारांग पढ़ना कल्पे ऐसे खुलासा कहा है तो श्रावक सर्वथाही न पढे. ऐसा प्रत्यक्ष सिद्ध होता है। - - - - .... श्रीप्रश्नव्याकरण सूत्रके दूसरे संवरद्वारमें कहा है कि-." तंसच्चं भगवंत तित्थगर सुभासियं दसविहं चउदस पुन्वीहिं पाहुडत्थवेइयं महरिसि गय समयप्प दिन्नं देविंद नरिंदे भासियत्थं। भावार्थ यह है कि भगवंत वीतरागने साधु सत्य वचन जाने और बोले इसवास्ते सिद्वांत उनको दिये,और देवेंद्र तथा नरेंद्र को सिद्धांतका अर्थ सुनके सत्य वचन बोलें इसवास्ते अर्थ दिया इस पाठमेंभी खुलासा साधुको सूत्रपढ़ना और श्रावकको अर्थसुनना एसे भगवंतने कहाहे जेठा-लिखनाहै कि श्रावक सूत्र वांचे तो अनंत संसारी हो। ऐसा पाठ किस सत्रमें है ?” उत्तर- श्रीदशकालिक सूत्रके षट्जीवनिका नामा चौथे अध्ययन तक श्रावक पढे, आगे नहीं; ऐसे श्री आवश्यकसूत्र में कहाहै इसके उपरांत आचारांगादि
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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