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________________ (३४) महिया शब्द का अर्थ। :: " श्रीलोगस्समें "कित्तिय वैदिय महिया" ऐसा पाठश्रीआवश्यक सत्रका है,इनमें प्रथमके दो शब्दोंका अर्थ"कीर्तिताः-कीर्तनाकरी और वंदिताः-वंदनाकरी"ऐसा है अर्थात् यह दोनों शब्द भावपूजा वाचीह, और तीसरे शब्दका अर्थ-'महियाः पुष्पादिभिः'-पुष्पादिक से पूजा करी है, अर्थात् महिया शब्द द्रव्य पूजा वाची है, टीकाकारोंने तथा प्रथम टम्बा बनाने वालोंने भी ऐसाही अर्थ लिखा है परंतु कितनीक प्रतियोंमें ढूंढियोंने सच्चा अर्थ फिराकर मनः कल्पित अर्थ लिख दिया है, उस मूजिब जेठमल भी इस प्रश्नमें 'महिया' शब्द का अर्थ "भावपूजा" ठहराता है सो मिथ्या है। ___ जेठमल फूलोंसे श्रावक पूजा करते हैं उसमें हिंसा ठहराता है सो असत्य है, क्योंकि पुष्पधूजासे तो श्रावकोंने उन पुष्पों की दयापाली है, विचारो कि माली फूलोंकी चंगेर लेकर बेचनेको बैठा है, इतने में कोई श्रावक आनिकले और विचारे कि पुष्पोंको वेश्या ले जावेगी तो अपनी शय्यामें विछाके उसपर शयन करेगी, और उसमें कितनीक कदर्थना भी होगी,कोई व्यसनीले जावेगा तो फूल के गुच्छे गजरे बनाकर सूंघेगा, हार बनाकर गले में डालेगा, या उनका मर्दन करेगा,कोई धनी गृहस्थी लेजावेगा तो वोभी उनका यथेच्छभोग करेगा, और स्त्रियोंके शिरमें गूथे जावेंगे, जो अतर के व्यापारी लेजावेंगे तो चुल्हेपर चढ़ाके उनका अतर निकालेंगे तेलके व्यापारी लेजावेंगे तो फुलेल वगैरह बनानेमें उनकी बहुत विटंबना करेंगे, इत्यादिअनेक विटंबनाका संभव होनेसे प्राप्त होने वाली विटंबनाके दूर करने वास्ते और अरिहंतकी भक्तिरूप शुद्ध
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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