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- ( २१६ ) (५२) "भरतेश्वरने ऋषभदेव और ९९ भाइयोंके मिलाकर सौ स्थूभ कराये ऐसे प्रकरणमें कहा है और सूत्रमें यह बात नहीं है"उत्तर-भरतेश्वरके स्थूभ करानेका अधिकार श्री आवश्यक सूत्रमें है यतःथभसय भाउयाणं चउविसं चेव जिणघरे कासी। सम्वजिणाणं पढिमा वरणपमाणहिं नियएहिं ॥ ८॥
और इसी मूजिब श्रीशत्रुजयमहात्म्यमें भी कथन है *
(५३) “पांडवोंने श्रीशजय ऊपर संथारा करा ऐसे सूत्रमें कहा है परंतु पांडवोंने उद्धार कराया यह बात सूत्र में नहीं है"उत्तरसूत्र में पांडवोंने संथारा करा यह अधिकार है और उद्धार कराया यह नहीं है इससे यह समझना कि इतनी बात सूत्रकारने कमती वर्णन करी है परंतु उन्होंने उद्धार नहीं कराया ऐसे सूत्रकारने नहीं कहा है इसवास्ते उन्होंने उद्धार कराया यह वर्णन श्रीशत्रुजयानहाम्यादि ग्रंथों में कथन करा है सो सत्य ही है।
(५४) "पंचमी छोड़के चौथको संवत्सरी करते हो" उत्तरहम जो चौथकी संवत्सरी करते हैं सो पूर्वाचार्योंकी तथायुगप्रधान की परंपरायसे करते हैं, श्रीनिशीथचूर्णिमें चौथकी संवत्सरी करनी कही है। और पंचमीकी संवत्सरी करने का कथन सूत्रमें किसी जगह
जेकर ढूंढिये कहें कि यह नियुक्ति प्रादिका पाठ है, हम नहीं मंजूर करते हैं तो इन देवानां प्रियों को हम यह पूछते हैं कि तुमारे माने सूत्रों में तो भरतेश्वरका संपूर्ण वर्णन की नहीं है तो तुम कैसे कह सकते हो कि भरतेश्वर के स्थूभ कराये का पधिकार सूबमें नहीं है?