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(१६४ ) मजिब नहीं मानते हैं इससे तिनको निविड मिथ्यात्वका उदय मालमे होता है। . ॥इति ॥ (२५)श्रीनंदिसत्र में सर्व सूत्रोंकी नोध है॥
बारह अंगके नाम। (१) आचारांग, (२) सूयगडांग,(३) ठाणांग,(४)समवायांग, (५) भगवंती, (६) ज्ञाता, (७) उपासकदशांग, (८) अंतगड, (९) अनुत्तरोवाइ, (१०) प्रश्नव्याकरण, (११) विपाक, (१२) दृष्टिवाद
(१) अावश्यकासन।
(२९) उत्कालिक सूत्रके नाम । (१) दशवेकालिक,(२) कपिण्याकप्पिय,(३)चुल्लकल्प (१)महा कल्प, (५) उववाइ, (६) रायपसेणी, (७) जीवाभिगम, (८) पन्नवणा, (९) महापन्नवणा, (१०) पमायणमाय, (११) नंदि,(१२)अनु. योगद्वार, (१३) देवेंद्रस्तव, (१४) तंदुलक्यालिय, (१५) चंद्रविजय (१६) सूर्यप्रज्ञप्ति,(१७) पौरुषी मंडल, (१८) लेडल प्रवेश, (१९) विद्याचारण विनिश्चय, (२०) गणिविद्या, (२१)ध्यानविभक्ति,(२२) मरणदिभक्ति, (२३) आयविसोही, (२४) वीतरागश्रुत, (२५) सले. खनाश्रुत, (२६) विहारकल्प, (२७) चरणविधि, (२८) आउपरच्चक्खाण, (२९) महापच्चदखाण ॥ .
एवमाइ शब्दसे श्रीच उसरणसूत्र तथा श्रीभक्तपरिज्ञासूत्र प्रमुख चउदां हजारमें से कितनेक उत्कालिकसूत्र समझने ॥
- (३१) कालिक सूत्रके नाम --- (१) उत्तराध्ययन, (२) दशाश्रुतस्कंध, (३) कल्पसूत्र,(४)व्यवहारसूत्र (५) निशीथ, (६) महानिशीथ, (७) ऋषिभाषित, (८)जंबू