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________________ (११) माणे १ अरिहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अवगणं वयमाणे२ आयरिय उवझायाणं अवगणं वय माणे ३ चाउवरणस्स संघस्स अवगणं वयमाणे ४ विविक्कतवबंभचेराणं देवाणं अवगणं वयमाणे ५ ॥ ऊपरके सूत्रपाठ के पांच में बोलमें सम्यग्दृष्टि देवताके अव. र्णवाद बोलने से दुर्लभ बोधि होवे ऐसे कहा है इसवास्ते अरे ट्रॅडियो ! याद रखना कि सम्यग्दृष्टि देवता के अवर्णवाद बोलने से महा नीचगति के पात्र होवोगे और जन्मांतर में धर्म प्राप्ति दुर्लभ होगी॥ इति ॥ (२१) देवताजिनेश्वर की दाढा पूजते हैं। एकवीसमें प्रश्नोत्तर में सुर्याभ देवता तथा विजय पोलिया प्रमुखों ने जिनदाढ़ा पूजी हैं तिसका निषेध करने वास्ते जेठमल ने कितनीक कुयुक्तियां लिखी हैं, परंतु तिनमें से बहुत कुयुक्तियों के प्रत्युत्तर वीसमें प्रश्नोत्तर में लिखे गये हैं,बाकी शेष कुयुक्तियों के उत्तर लिखते हैं । श्रीभगवती सूत्रके दशमें शतक के पांच में उद्देशे में कहा है कि :पभूणमंते चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया चमर चंचाए रायहाणिए सभाए सुहम्माए चमरंसि सिंहासणंसि तुडियणं सद्धिं दिवाई भोग
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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