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________________ विरोध है? प्रश्न के अंत में जेठमलने लिखा है कि आनंद श्रावक ने अरिहंत के चैत्य तथाप्रतिमाकोवंदनाकरी होवे तो बताओ"इस का उत्तर-प्रथम तो पूर्वोक्त पाठसेही तिसने अरिहंतकी प्रतिमाकीवंदना पूजाकरी हैऐसे सिद्ध होता है तथाश्रीसमवायांग सूत्रमेंसूत्रोंकी हुंडी है तिसमें श्रीउपासक दशांग सूत्रकी हुंडी में कहा है कि - से कितं उवासगदसाउ उवासगदसासणं उवासयाणं नगराई उज्जाणाईचेइयाइवणखंडारायाणो अम्मापियरोसमोसरणाइंधम्मा यरिया ॥ अर्थ-उपासक दशांगमें क्याकथन है? उत्तर-उपासक दशांगमें श्रावकों के नगर, उद्यान, 'चेइआई'चैत्य अर्थात् मंदिर, वनखंड, राजा, माता, पिता, समोसरण,धर्माचार्यादिकों का कथन है। इसले समझना कि आनंदादि दश श्रावकोंके घरमें जिनमंदिर थे और उन्होंने जिनमंदिर कराये भी थे,और वोह पूजा वंदना प्रमुख करते थे, यद्यपि उपासक दशांग में यह पाठ नहीं है, क्योंकि पूर्वाचार्योने सूत्रों को संक्षिप्त करदिया है, तथापि समवा यांगजी में तो यह बात प्रत्यक्ष है; इस वास्तेजरा ध्यान देकर शुद्ध अंतःकरण से तपास करोगे तो मालूम होजावेगा कि आनंदादि अनेक श्रावकोंने जिन प्रतिमा पूजी है सो सत्य है ॥ इति ॥ (१७) अंबड श्रावक ने जिन प्रतिमा वांदी है। (१७) वें प्रश्नोत्तर में जेठमलने अंबड तापस के अधिकारका पाठ आनंद श्रावक के पाठके सहश ठहराया है सो असत्य है इसलिये श्री उववाइसूत्र का पाठ अर्थसहित लिखते हैं -तथाहि - ।
SR No.010466
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1903
Total Pages271
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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