________________
(६९) ज्ञान दीपक जोया घट अन्दर । दूर किया अन्धार ॥ बिकटघाटसेपारउतारणाकियाघणा उपकार॥अब ४ हीरालाल भजमाल नामकी। जो कोइ होवे होशियार। रागधन्नाश्रीधुन्नलगाइ।सुणतां हर्ष अपार ॥ अब५॥
आपद-सद्गुरू बौध ॥ गाफल मतरहै-यह देशी ॥
गुरूजी ऐसा ज्ञान सुनावे रे । अन्धेको मार्ग दिखलावे ॥ टेर ॥ भवसागर से पार उतारे। काम क्रोध की लेहर निवारे ॥ खोटी द्रष्टि किसी परनारे। अपनी जान ज्यूं जान बचावे ॥ गुरुजी ॥१॥ जिसको संगत है मुनिवर की। उसकी नाव भव जलसे तिरेगी। बिकट घाटसे पार उतरेगी।