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ज्ञान घोडा पर साज संयम को | वन वैठा अस्वार ॥ सीधी सडक लीवी शिवपुरकी । क्या लगती देर दार ॥ चालो ॥ २ ॥ विनय विछोना सील सिराना । संमर ओढना लार ॥ बांध गटडिया फेट पकडियां ।
॥ चालो ॥ ३ ॥
होगया व्यारम् त्यार तप खरची बांधी या पले । द्रव्य अखूट भन्डार ॥ हजूर साहेबका जहां है टिकाना | शहर बसे गुलजार ॥ चालो ॥ ४ ॥ चार तीर्थ दरबार भरा है | सभापति जिन दीदार | लाख पैंतालीस लम्बा चौडा । सभा मंड श्रेयकार ॥ चालो ॥ ५ ॥ बहुत दिनसे उम्मेदवार है । अरजी दीनी डार || साहिब आपसे मिलने आता ।
कमों की की तकरार
॥ चाल ॥ ६ ॥