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उलटा कर्ज किया सिर नंगे । अम्मा को मारी योंही भार ॥ मिली ॥ ६ ॥ उन्नीससो छांट के मांही । ठाना दश परिवार ॥ पारसोलामें आये मुनीश्वर ।
जवाहरलालजी अणगार || मिली ॥ ७ ॥ हीरालाल कहे सबको ऐसे । रहो गुणी होशियार ॥ पाप अठारा त्यागन करके | आत्म अपनीको तार ॥ मिली ॥ ८ ॥
॥ उपदेशी पद मोक्ष का बटाउ || देशी उपर्युक्त ॥ चालोजी आपां मोक्ष नगर दरबार || मानोजी म्हारी विनंती वारंवार || आं० ॥ केइ जणात पहोंच गया है । केइक होवे तैयार || ass मसलत करत है मनमें |
हां पहोंचे सरकार
॥ चालो ॥ १ ॥