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हिर्सकी हवा के अन्दर डौलता हिले || मखियां जो मस्तकधूनती औरदस्तको मले ॥ आयेशा जर जेवरों जवाहर डाले अपने गले ॥
जमके उपर पांव तेरे जोरसे चले || आये || ३ || जो मुस्तफा मखलु में उनसे दूर क्यों टले || मकून सोबत जाहिलों की हसरतमें डले || आये ॥४॥ दे दान सखावत है दौलतकी हांसिले || जिना खोरी की मिजवानी दोजखमे चले || आये ॥५॥ बराय जिनराज आरजू और ना हिले । हमावतसोदरमुस्तकीमें हीरालाल कोमिले| आये ६॥
|| सम्यक्त्व की - गजल ॥
सम्यक्त्व रत्न पाय मतीहाररे जिया । मिथ्यात्व मोह अन्धकार टाररे जिया || ढेर | कुगुरू देव हिंशा धर्म छोडरे जिया ।