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(४९) इन्द्र खुद आपसमझायावाहुबलसमतालाइ ॥फूट४॥ केइ राजाकी रजपूती । रही शमशेर ज्यों सूती ।। फूटसे टूट गया किल्लावैिरीको लेत दवाइ ॥फूट ॥५॥ फूट जिसे घडेसे जानी । जिसमें ठहरे नहीं पानी।। फूटका मोल हे कमतीपूछना घरोंके मांइ ॥ फूट॥६॥ किसीका चश्म जो फूटा।उसीका माल सब लूटा ॥ फूट गइ पालजो सरवराउसीमें नीरकहांपाइ॥फूट॥७॥ गुरुजवाहिरलालजीपाया।जिन्होंकीकल्पवृक्षलांया। सम्पसे सभी सुखपायाहीरालालदेतचेताइ ॥फूट८॥
॥ उपदेशी-गजल ॥ आये थे जन्म सुधारने अव हार क्यों चले ॥ जीना जिन्दगी कर वन्दगीजो मोन तोमिलाआं०॥ अय दिल जो तूं पाय दारी जिस्मकी करे ॥ हमराह यह तेरा हुस्नकी साहिब से मिले।आये॥१॥