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(४८) अहोसु० जो देख्या जिनवर भावजो । तेहनो तो कुण मेटे पुरूष मानवीरेलो॥ अहोसु० यों गावे हीरालाल जो। राणीने इम जाणी समता आणवीरेलो ॥ ७ ॥
॥ फूट और सम्प विषय || राग कव्वाली. ॥ फूटको मेटिये भाई । किसीके काम कीनाहीं ॥ सम्पसें सम्पत्ती पावे । मिले रिजक रोशनाइ॥७॥ फूट पांडवोने डाली । नवा खुद आप छिपवाली॥ हरीकोक्रोधजो आया।नतीजाक्याउसे पाइ ॥फूट१॥ रावणको फूट क्योंडाली।दियाभविषणकोनिकाली। गया जो रामके पासे रावणपर तेग चलाइ॥फूट२॥ कोणिकने किया युद्ध भारी।लुटादी केशरकीक्यारी॥ चेडानृपबाणचलायाकोणककीजानघबराइ ॥फूट३।। भरत बाहूबल बहू गाजे । राजके लोभके काजे॥