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(२१) क्यों होवो जाण अजाण ॥ हो गुरु ॥ ५॥ जैनमार्ग दीपक ज्यों देखायो। यो मोटो उपकार ।। हीरालाल नन्दलालको तार्या । यो मोटो उपकार ॥ हो गुरु ॥ ६ ॥
॥ श्री जिनराजसे विनंती स्तवन ।
॥ गजल-कव्वाली ॥ विना जिनराजकी भक्ती। कभी नही मोक्ष पावेगा। दयाल दीनके बन्धव । वही जोप्राण वचावेगा।आं.। जिनन्दकी सूरती प्यारी । खुली गुलशनकी क्यारी। प्रीति यह लगी है हमारी । प्रभुसे लन लगावेगा ॥
विना ॥ १ ॥ तुमारे काकी छांया । शरणमें आपके आया ॥