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________________ ( ११५) ऊंचा पहाडझाडीजंगलमे। जहांसीताकोउतारदिया। कहता सारथी सुणोरी माइ । हमने खोटा जन्म लिया। छूट-नवकार मंत्रका जाप लियाहे सरना । सब विघ्न विनाशे दूर सुख के करना ॥ मामाजी सीताके आय लेजाय घरम्याना। हुवे जुगल पुत्र गुणवान योवनमे सोमाना।। मिलत-सजी सवारी अजुध्या उपर गमचंद्रसे आन भिडी ।। धीज ।। २॥ किया युद्ध हटाया लस्कर । रामजी का नहींहाथचले। नेणभूजाफरकणसेजाणा।सजनजनकोइआय मिले।। इत्नेमें कोइ आयसुनावे । सीतासुत अंगजात भले ॥ छुट-लोकीक सुधारन काज के धीज ठेरावे ।। कर उंडा कुन्ड अमिसे पूर्ण भगवे ॥ सीता स्नान कर आले वस्त्र पहर आवे । होवे सील सांच मुज आंच रति नहीं आवे॥
SR No.010456
Book TitleJain Subodh Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal Kimti Haidrabad
Publication Year1913
Total Pages221
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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