________________
(१३३ ) ___ महाराज केइ नृप हुवा वेरागी जी।
श्री कुंभकरण इन्द्रजीतज मारा था बडभागीजी॥ केइ राण्या प्रमुख संयम मार्ग लीधो । महाराज सत्यका सत्य नही छोडा जी। कियानदीनखदावीचसंथारामुनिनेकर्मको तोडाजी॥ यह दिया गज लंकाका भभिक्षणजीको। महाराज अयुध्या नगरीको आनाजी ।। सब ।।३।। यह दिगविजय कर देश सभीको साधा। महाराज सोलह सहश्र देशा भूप नमायाजी । करीतीनखन्डमें आण अजुदया नगरीको आयाजी।। यह उन्नीसो चौसटके साल चौमासा । महाराज शहर मंदसोर के मांही जी । श्रीजवाहरलालजीमहाराजठाणादशरह्यासुखपाइजी।
या जुगल लावणी जयकारणी जगमाही। __ महाराज हीरालाल कोटी महल गवानाजी।।सव।।४।।
ARA