________________
(१३२) दी धीरज रामचन्द्र रहो आप अपनी जागाजी॥ इन्द्रजीत मेघनाथ को दम दिलासा। महाराज अनुजय कुंभ के करणाजी। बडेरघमन्डी जोधालिया सब रामका सरणाजी॥ यह धैर्य ध्यान संतोष सबही को कीनो। महाराज रावणका किया चलानाजी ॥ सब ॥ १ ॥ यह मंदोदरी प्रमुख हजारो राण्या। महाराज जिनोको ज्ञान बतलाया जी। हुवा शूरामें सरदार युद्ध परकाममें आयाजी ॥ अब करो आण प्रमाण सभी लक्ष्मण की। महाराज आनंद और मङ्गल वरते जी। श्रीधर्मघोष महाराज आयेगढलङ्का विचरतेजी॥ श्रीरामचन्द्र महाराज वांदवा आया। महाराज अनुभव अमृत पाना जी ॥ सब ॥२॥ सब सुणी ज्ञान उपदेश मुनिकी वाणी।