________________
( १२५ )
॥ टेर ॥
जगतमें सत्यका सरनाजी या रामचन्द्रजीकी नार आप क्यो लाया || महाराज जगत में गुल मचायाजी ॥ परत्रियाके परभाव केइने राज गमायाजी ॥ या जलती गाडर घर वीच कबू नही लानी || महाराज विपतिकी वेल कहवानीजी || या लंका नगरीपर हाथ करो क्यों उत्पात्त उठानीजी ॥ चड आया राम और लक्ष्मण दोनो भाइ || महाराज विश्वास कभी नहीं करनाजी ॥ नहीं १ ॥ ये सुग्रिवादिक केइ भूप संग लाया ॥ महाराज हनुमंत हुवा अगवानीजी ॥ ये पुरिके कंदामै वीर सभी मिलमता टेहरानीजी | राजा सुग्रिव चौकस करी मुलकामें ॥ महाराज रत्न जटी खबर दीधीजी || चोरी कर रावण राज लंकामें ले गया सीधीजी ॥