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(१२६) जब खबर करन हनुमंतको दूत पठायो । महाराज लंकाका किया वेवरनाजी ॥ नहीं २ ॥ अब हंस दीपमें डेरा आकर दीना ॥ महाराज समुद्रको तिरिया पानीजी। आवे लंकाके दरम्यान खबर सब देशमें जानीजी॥ अब दे सीता मुझ हाथ फेर दूं पीछा ॥ महाराज रावणको क्रोधज आयोजी॥ लिया खड्ग हाथपर हाथ भिड गया दोनो रायाजी॥ जब कुंभकरण इन्द्रजीतजी झगडो मिटायो॥ महाराज भभीक्षण गया रामके चरनाजी॥नहीं३॥
या लंकापतकी पदी रावण पाई॥ __ महाराज अक्षुनी तीस लस्कर लेरांजी॥
हुवा रामभक्त अति सक्त लगा दिया तंबूडेराजी॥ यो इन्द्र समान आभिमान रावण चड आयो॥ महाराज युद्धपर रण रंग राताजी ॥