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(१२१) देवता आइ दिया समझाइ। हलधर लिया संयम भारारे ॥ नीर १० ॥ कहे हीरालाल नेमजीकी वाणी । मिलिया छे तंत सारा रे ॥ नीर ११ ॥
॥राम-चरित्र॥ सीताहरण-जटाउ ओद्धारा।देसीख्यालकीषटपदी॥ अमरगतपायापंक्षीतिरियोरेसुणी नवकारने ॥७॥ सिंह नादजो सांभली सरे। राम गया झट चाल।। पाछे रावण आवियो सरे । कीधी माया जाल ॥ सीताकोलेचालियोसरो देखी रुप रसालरे |॥१॥ तिहां जटाउ पक्षीयो सरे । रहतो सीता पास ॥ भोलावण राम दे गया सरे । सीताकी सहवास ॥ रीसकरीलारां हुवा सरे।दे रावणको त्रासरे॥॥२॥ वरज्यो तो माने नहीं सरे । पंख छेद दियो डार ॥