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(११९) पांडव पांचो जागिया । खबर करी सब देश ॥ कुंथाजीको भेजिया। श्रीपति जहां नरेश ॥ ब ९ ॥ पाया पत्ता नारदसे । हरी पांडव सब सिंघ ॥ गंगा तटके ऊपरे । लश्कर जेम तरंग ॥ व १०॥ सुर शक्ति समुद्र तीरी । धातकी खन्ड मझार ॥ अमरकंखा कोढा दीवी। पद्मनाभ गयो हार॥११॥ द्रोपदी ले हाथे दिवी । करी दुशमनको घाण ॥ हीरालाल कहे जीतका । घुरिया तुर्त निशाण ॥१२॥
॥पद-कृष्ण विलाप. राग अलिया मारू मलहार॥
ओजी नीर लावो वीर प्यारा । यातो प्यास लगी परिहारारे ॥ टेर ॥ कर पत्र पात्र जलके कारण । पहोता सरवर पारारे ॥नीर १ ॥ हरी पोढय ओडन पितम्बर ।