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(११८) विषया सुखके कारणे । लाया द्रौपदी नासा टेर॥१॥ तेलोकर स्मरण कियो । आयो मित्र जो देव ॥ कहे नृप ला देवो द्रौपदी। यही हमारी सेव।। ब २॥ कहे देव सुणो नृपती । तुम कही बात अजोग । पांडव त्यागीपर पुरुषसंगाकदीय न वांछे भोगाव३॥ राजा बात माने नहीं । नहीं नयणोंमें लाज ॥ पलंग उठायोद्रोपदीकोधर्यों बागे महाराज ॥ ब४॥ राजा लेइ परिवारको । आयो द्रोपदी पास ॥ करूं पटराणी माहरी । चालो आप आवास ॥ब ५॥ सुन राजा म्हारी विनंती । मत्त कर खेंचाताण ॥ षट मास लग माहेरी। करले बात प्रमाण ॥ ब ६॥ शोरठ देश दारामति । जहां है हमारे भ्रात ॥ वो आसी वहार माहेरी। ले जासी गृहीहाथ ॥ ब७॥ करी मुमानित नृपती । मेली महेल दरम्यान ॥ वेले२पारना । आयांविल नव पद ध्यान ।। ब ८॥