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(११०) सूतो सिंह जगायो कटुक वचन कही।सुनो ॥४|| चंदन शीतलता सोहवे । अंत मिथ्या अमि होवे। होन हार बुद्धि ढोवे। हीरालाल ज्ञान हृदय जोवे ॥ सुनो ॥ ५॥
एवंता ऋषीका जीव जसासे जवाव-देशी वरोक्त।। सुनोभोजाई,गर्वन कीजो नहींलीजे छेहसाधूतणो॥ सुनो भोजाई, गर्व न कीजे । धन यौवन माया तणो ॥ टेर ॥ तूं बोलेगर्वे घरगुमराई। थारे मानदिशा मनमेंआई। थारी दीसे थोडी ठुकराई। फूल फूले जो जासी कुमलाई ॥ सुनो॥ १ ॥ मन मान्या मङ्गलबधावना।कररह्या सहुआपआपना॥ जो जासे सोही आवना। चलकादार चूडो दीसे पावना ॥ सुनो ॥ २॥