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|| जीव जसाका एवंता ऋपिसे सवाल || नंदा प्रभु जगजीवन अंतरयामी || यह देशी ॥ सुनो देवरजी, संयम छोडी महेल पधारोमहाराजीया || ढेर ||
मुनिवर आया गोचरी । भोजाइ आडी फीरी ॥ देवरस्यूं करे मरकरी |
ये स्वांग धरीने कांड डोलो घरोघरी ॥ सुनो ॥१॥ पाय अगवाणे चालनी । उघाडे मस्तक हालनो ॥ दोष क्यालीस टालनो ।
ऐसो कष्ट आचार क्यों पालनो ॥ सुनो ॥ २ ॥ जाया एक मातारा | अंतर नहीं कोइ बातांरा | क्षत्री कुल जादू जातांरा ।
थांके लिख्या लेख हाथ पातरा ॥ सुनो ॥ ३ ॥ मार्गमें ऊभी रही । हाथ दोइ आडा दई ॥ आगे जावां देस्य नहीं ।