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( १११) गावरमें कीटय निम फूलछोत मानशिवरपर डोले?।। कूला के मंडाने नोले । अधिकारी अविका नर बोले छे ॥ सुनो ॥३॥ यामरना गुंथावे जोनारी । पुत्ररत्नन जणसीयामारी।। मानगो नाम होसी गिरधारी।। चूर्ण बाल धने क.सी दुःखयारी ।। नुनो ॥४॥ सुनजीवजनामनयटकानाको मार्गअलगीसकानी प्रीतम पुकार की आनी। हगलाल गावे मुनिवर वानी ॥ नो॥ ५॥
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॥जीव जना और कागजात विचार-देशी बोग। सुनोमिनमजी! ना तुम्ागा आया हमयर गाँवरी॥ अगस्तिमजी ! दचन कठिन काहीन । गया पाहा फिर ॥टेर ।। मतामालपमें दसडीकही पानीतरपीआइमनमही।।