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( १०७ )
कूद पडे कन्हैया दपटी | गेंद लिवी नागने झपटी ॥ कहे नागनी तूं है कपटी | जब नागनी नाग जगावेरे ॥ क || ३ ||
जागा नाग सहथ पण वाला । किया युद्ध नहीं खाया टाला ॥ नाथा नाग श्रीनंदके लाला | गवाल्या येथे कने आवेरे ॥ क ॥ ४ ॥
महिया वेंचन चली है गुजरी ।
वक्त हुईथी जब बडी फजरी ॥ हट कर कर मटकी एकरी | ग्वालन कमर से लचकावेरे ॥ क ॥ ५ ॥
कार लोप मत करो कन्हैया | मुफ्त माल मत खावो महिया || कंश भूप की आण मनँया ।