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(१०६) श्रीजवाहरलालजी महाराजपरमउपकारी।महाराज॥ हीरालाल सब सुख पावोजी ॥ थां ॥ ४ ॥
हरिवंश-चरित्रावली. । ॥ कृष्णलीला-गाफिल मत रेहरे-यह देशी ॥
कन्हैयो रमवाने जावेरे। गोकलमें धूम मचावेरे ॥ कन्हैयो । टेरे ॥ मात यशोदाकी आज्ञा लीनी सब लडकोले सला कनिी ॥ और कन्हैयो भंग भी पीनी । जमनाके घाट पर आवेरे ॥ क ॥ १ ॥ लगी चोट गेंदके जबर । ऊंची गइ असमानके ऊपर । डूब गइ काली द्रोह अन्दर। गवालिये खडे २ दिखलावे ॥ क ॥ २॥