________________
( ९५ )
यह जीना जिन्दगी तो यही फरज है तुमको | भक्ति प्रभूकी याद करो हर दमको | यह क्रोध मान मद मोह जीतलो मनको ॥ करो ज्ञान ध्यानका युद्ध हटादो यमको । कहे हीरालाल मतपडो भर्म मिटारे ||पाय || ४ ||
॥ लावणी उपदेशी - वरोक्त चालमे ॥ तूं क्यों करता है मान । जिन्दगी जीना । तेरा चला जाय जॉवन । पानीका फीना ||ढेर || बडे भूप कही गर्भके अन्दर छाया । होगये दुनिया में जैसे बद्दलकी छाया || चिलका बीजली रेन मे स्वपना आया । क्या लगती है देर झव झवकाया || रावण के मुताबिक ये हुवे नखमीना ॥ तेरा ॥१॥ महलों में होताथा राग चमर लाता ।