________________
३०] महाचन्द जैन भजनावली । काज ॥ तुम्ह० ॥ १॥ तुम तनतेज शीतल तल लखिके रवि शशि छवि कृत लाज ॥ तुम्हें ॥२॥ रंक रत्न ऋद्धि धरि घरनतें होते आनंद समाज तुम्हें ॥३॥ चातक चितमें हर्ष होत है ज्यों सुनि सुनि घन गाज ॥ तुम्हें ॥४॥ तुम जग तारण तिरण भवोदधि कीनी धर्म जिहाज॥ तुम्हें० ॥ ५ ॥ तुम भवि भाव भक्ति बसि बंदत तिने पाई भव पाज ॥ तुम्हें० ॥ ६ ॥ बुध महाचन्द्र चरण चर्चन करि जाचै अजाचिक राज ॥ तुम्हेंजि० ॥७॥
(३६) वधाई। देखो आज वधाई रंगभीनी हो ॥ देखो॥ टैर ॥ समद विजै शिवादेवीने सुत नेमीश्वर प्रभू कीनी हो ॥ देखो० ॥ १॥ इन्द्र ही नाचत इन्द्र वजावत बीन वंसी सुर झीनी हो ॥ देखो० २॥ कई सचि नाचत कई सचि गावत कई करताल वजीनी हो ॥ देखो० ॥३॥ जादवकुल आकास चन्द्रसम उपजे हर्ष नवीनी हो ॥ देखो० ॥