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बुधजन विलास (११२ ) राग कालिंगडो। हूं कब देखू वे मुनिराई हो ॥ हूं. ॥ टेक ॥ तिल तुषमान न परिग्रह जिनकैं, परमातम ल्यौं लाई हो।हूं॥१॥निज स्वारथके सब ही बांधव, वे परमारथभाई हो। सब विधिलायक शिव मग दायक तारन तरन सहाई हो। हूं० ॥२॥
अजी हो जीवा जी थानै श्रीगुरु कहै छै, सीख मानौं जी अजी० ॥ टेक ॥ विन मतलबकी थे मति मानौं. मतलबकी उर प्रानौं जी॥ अजी० ॥१॥राग दोषकी परिनति त्यागौ, निज सुभाव थिर ठानौं जी। अलख अभेद रु नित्य निरंजन, थे बुधजन पहिचानौं जी॥अजी० ॥२॥
(११४) आयौ जी प्रभु थांपै,करमारौ पीड्यौ प्रायौ।। आयो ।टेक। जे देखे तेई करमनि वश, तुम ही करम नसायौ । अायौ० ॥ १ ॥ सहज स्वभाव नीरशीतलको, अगनि कषाय तपायौ। सहे कुलाहल अनंतकालमैं,नरक निगोद डुलायो