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बुधजन विलास नामी, अंतरजामी सिरताज म्हे० ॥१॥ मोह शत्रु खोटी संग लाग्यौ, बहुत करै छै अकाज। यात बेगि बचावौ म्हान, थाने म्हाकी लाज ॥ म्हे ॥२॥ चोर चडाल अनेक उबारे,गीधश्याल मृगराज तौ बुधजन किंकरके हितमैं, ढील कहा जिनराज म्हे. ॥३॥
____ (१११) राग-कालिंगड़ो ___ कुमतीको कारज कूड़ौ, हो जी॥कुमती ॥टेक।।थांकी नारि सयानो सुमती, मतो कहै छै रूडो जी॥कुमती॥१॥ अनन्तानुबंधकी जाई, क्रोध लोभ मद भाई। माया बहिन पिता मिथ्यामत, या कुल कुमती पाई जी॥कुमती० ॥२॥ घरको ज्ञान धन वादि लुटावै, राग दोष उपजावै। तब निर्बल लखि पकरि करम रिपु, गति गति नाच नचावै ॥कुमती॥३॥ या परिकरसौं ममत निवारौ, बुधजन सीख सम्हारो। धरमसुता सुमती सँग राचौ, मुक्ति महलमें पधारो॥कुमती०॥४॥