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वुधजन विलास सवारी, नाना विधि भोग तयारी। सुंदर तिय सेज सँवारी,तन रोग भयौ या ख्वारी॥ अब० ॥१॥ ऊंचे गढ़ महल बनाये,बहु तोप सुभट रखवायें। जहां रुपया मुहर धराय,सब छांडि च ले जम आये।।अब०॥२॥ भूखा बै खाने लागै धाया पट भूषण पागे । सत भये सहस लाख मांग, या तिसना नाहीं भाग ॥ अब० ॥३॥ ये अथिर साँज परिवारौ. थिर चेतन क्यों न सम्हारौ । बुधजन ममता सब टारौ, सब पापा
आप सुधारौ ॥ अब० ॥ ४॥ ___(१०७ ) राग-कालिंगड़ो परज धीमो तेतालो।
म्हे तो थांका चरणांलागां आन भावकी परणति त्यागां ॥ म्हे०॥टेक ॥ और देव सेया दुख पाया,थे पाया छौ अब बड़भागांम्हें०२ एक अरज म्हांकी सुण जगपति, मोह नदिसौं अबकै जागां । निज सुभाव थिरता बुधि दीजे. और कछु म्हे नाहीं मांगा । म्हे० ॥२॥