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बुधजन विलास
या || मनुवा० ||३|| करत काज आनको निजगिन, सुधपद त्याग दया ॥ मनुवा० ॥ ४ ॥ आप आप वोरत विषयी है, बुधजन ढीठ भया मनुवा ॥ ५ ॥
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( १०५)
भज जिन चतुर्विंशति नाम ॥ भजि• ॥ टेक || जे भजे ते उतरि भवदधि, लयौ शिव सुखधाम ॥ भज• ॥ १ ॥ ऋषभ अजित संभव स्वामी, अभिनंदन अभिराम । सुमति पदम सुपास चंदा, पुष्पदन्त प्रनाम ॥ भज• ॥ २॥ शीत श्रेयान वासुपूजा, विमल नन्त सुठाम | धर्मशां तिजु कुंथु अरहा मल्लि राखें माम ॥ भज• ॥ ३ मुनिसुव्रत नमि नेमिनाथा, पार्श्व सन्मति स्वाम राखि निश्चयजपौ बुधजन, पुरै सबकी काम ।
भज० ॥ ४ ॥
( १०६ ) राग - मालकोष ।
अब तू जान रे चेतन जान, तेरी होवत है नित हा ॥ अ० टेक ॥ रथ वाजि करी -