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पना दिखानेके लिये हुआ है इसलिये मत्सरी शब्दका अर्थ ऐसा करना चाहिये कि वे दर्शन परस्परमें अत्यंत असहनशील है । अर्थात्-क्रोधकपायके द्वारा अंतःकरणमें कलुषित होनेसे वे अपने अपने ही दर्शनों के पक्षपाती है और अपनेसे भिन्न पक्षोंका तिरस्कार करते हुए अपने माने हुए पक्षके मंडन करनेमें सदा उद्यत रहते है। | कस्माद्धेतोर्मत्सरिण इत्याह-अन्योऽन्यपक्षप्रतिपक्षभावात् । पच्यते व्यक्तीक्रियते साध्यधर्मवैशिष्ट्येन हेत्वादिभिरिति पक्षः-कक्षीकृतधर्मप्रतिष्ठापनाय साधनोपन्यासः । तस्य प्रतिकूलः पक्षः प्रतिपक्षः। पक्षस्य प्रतिपक्षो विरोधी पक्षः। तस्य भावः पक्षप्रतिपक्षभावः। अन्योऽन्यं परस्परं यः पक्षप्रतिपक्षभावःपक्षप्रतिपक्षत्वमन्योऽन्यपक्षप्रतिपक्षभावस्तस्मात् । तथा हि । य एव मीमांसकानां नित्यः शब्द इति पक्षः स एव सौगतानां प्रतिपक्षस्तन्मते शब्दस्याऽनित्यत्वात् । य एव सौगतानामनित्यः शब्द इति पक्षः स एव मीमांसकानां प्रतिपक्षः। एवं सर्वप्रयोगेषु योज्यम्।
किस कारण वे पक्षपाती होरहे है इस शंकाका उत्तर कहते हैं।-अपने तथा परके माने हुए दर्शनोंमें परस्पर पक्ष प्रतिपक्षका दुराग्रह रखनेसे वे पक्षपाती होरहे है । अमुक है सो साध्यरूप धर्मकर सहित है इस प्रकार जो हेतु आदिकोंके द्वारा प्रगट किया जाता है वह पक्ष कहाता है। अर्थात्-खीकार किया हुआ विचार जहांपर हेतुआदिकोंके द्वारा साधाजाय, या पुष्ट किया | जाय वह पक्ष कहाता है । जिसमें उस साध्यविचारके विरुद्ध विचाररूप धर्म मिलते हों कितु वह साध्य न मिलता हो उसको
कहते है । पक्षका जो प्रतिपक्ष हो अर्थात् विरोधी पक्ष हो वह पक्षप्रतिपक्ष कहाता है। इसीकी प्रधानताको पक्षप्रतिपक्षभाव कहते है । एक दूसरेमें जो पक्षप्रतिपक्षपना रखना है वही अन्योन्यपक्षप्रतिपक्षभाव कहाजाता है । इसीके होनेसे | वे एक दूसरेके द्वेषी है । कैसे ? मीमासकोका जो नित्य शब्द माननेका पक्ष है वही बौद्धोंकेलिये प्रतिपक्ष है । क्योंकि बौद्धमतमें शब्दको सर्वथा अनित्य माना है। बौद्धोका जो शब्दको अनित्य मानना पक्ष है वह मीमासकोकेलिये प्रतिपक्ष हुआ। इसी प्रकार अन्यवादोमें भी विरोध आता है सो विचार करलेना चाहिये। । तथा तेन प्रकारेण, ते तव [सम्यक् एति गच्छति शब्दोऽर्थमनेनेति " पुन्नाम्नि घेः"] समयः संकेतः । यद्वा सम्यगवैपरीत्येनाय्यन्ते ज्ञायन्ते जीवाऽजीवादयोऽर्था अनेनेति समयः सिद्धान्तः । अथ वा सम्यगयन्ते गच्छन्ति जीवादयः पदार्थाः स्वस्मिन् रूपे प्रतिष्ठां प्रामुवन्ति अस्मिन्निति समय आगमः।
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