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साद्वादमं.
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केनोल्लेखेन मीयेतेत्याह सदेव सत्स्यात्सदिति । सदित्यव्यतत्वान्नपुंसकत्वम् । यथा किं तस्या गर्भे जातमिति। सदेवेति दुर्नयः। सदिति नयः। स्यात्सदिति प्रमाणम् । तथा हि । दुर्नयस्तावत्सदेवेति ब्रवीति । अस्त्येव घट इति अयं वस्तुन्येकान्ताऽस्तित्वमेवाभ्युपगच्छन्नितरधर्माणां तिरस्कारेण स्वाभिप्रेतमेव धर्म व्यवस्थापयति । दुर्नयत्वं
चास्य मिथ्यारूपत्वात् । मिथ्यारूपत्वं च तत्र धर्मान्तराणां सतामपि निवात् । GI दुर्नीति, सुनीति तथा प्रमाणके द्वारा जो पदार्थका तीन प्रकारसे निश्चय होता है उसका स्वरूप कैसा है ऐसा प्रश्न होनेपर
" सदेव, सत्, स्यात् सदिति " ऐसा उत्तर देते है । इसका अर्थ यह है कि, पदार्थ सत्रूप ही है ऐसा एकान्तरूप ज्ञान कुनयके द्वारा होता है । सुनयके द्वारा जो ऐसा ज्ञान होता है कि पदार्थ सरूप है उसमें तथा उपर्युक्त कुनयके ज्ञानमें इतना ही अंतर | है कि कुनयजन्य ज्ञान तो एक विवक्षित धमको छोड़कर वाकी धर्मोंका निषेध करता है किंतु जो सुनयजन्य ज्ञान होता है उसमें मुख्य तो एक विवक्षित धर्म ही रहता है परंतु वाकीके अमुख्य धर्मोंका भी उदासीनरूपसे ग्रहण किया जाता है । जैसे कुनयसे । का तो ज्ञान होता है कि पदार्थ सत् ही है। अर्थात् सत्को छोड़कर अन्य कोई भी धर्म पदार्थमें नही है । सुनयसे जो ज्ञान होता है ||उसका उदाहरण ऐसा है कि पदार्थ सत्रूप है । अर्थात् केवल सत्रूप ही नहीं है; उसमें धर्म तो अनंतो हैं परंतु अमुक समयपर । विवक्षित धर्म सत्त्व ही है। प्रमाणद्वारा जो ज्ञान होता है उसका उदाहरण ऐसा है कि पदार्थ कथंचित् सत्रूप है। अर्थात् कथंचित्
कहनेसे पदार्थमें असत्वादि धर्म भी रहते प्रतीत होते है । ' सत् शब्द है सो यहांपर नपुंसकलिङ्ग है । नपुंसलिङ्गी शब्दका उच्चामारण यहां इसलिये किया है कि सत्शब्दका अर्थ यहांपर कोई खास पदार्थ नही है किंतु सामान्य सभी सतरूप पदार्थ उसके वाच्य थाहै। सामान्य अर्थकी विवक्षा होनेपर शब्द नपुंसकलिङ्गी ही बोला जाता है। जैसे अमुक स्त्रीके गर्भ में क्या हुआ? । 'क्या हुआ' | इसमें भी क्या (किम् ) शब्द जो है वह नपुसकलिङ्गी ही है। यहांपर जो दुर्नय है वह प्रत्येक पदार्थको एक धर्मविशिष्ट ही मनाता है। जैसे घड़ा केवल सत्रूप ही है। यहां यह दुर्नय वस्तुमें एक मात्र अस्तित्व धर्मका ही निरूपण करता हुआ शेष धर्मोके निषेधपूर्वक विवक्षित धर्मको ही पदार्थका खरूप बतलाता है। खोटा नय होनेसे इसको दुर्नय कहते है । विवक्षित धर्मको माछोड़कर बाकीके विद्यमान् धर्मोंका भी यह अपलाप करता है इसलिये इस नयको खोटा कहते हैं।
तथा सदित्युल्लेखवान्नयः। स ह्यस्ति घट इति घटे स्वाभिमतमस्तित्वधर्म प्रसाधयन् शेषधर्मेषु गजनिमीलिका
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