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प्रत्येक वचनका तथा प्रत्येक विभक्तीका संबन्ध होनेपर अपने आकारको न बदलै उसको अव्यय कहते हैं। अव्यय है सो शब्दोका | एक भेद है। श्लोकमें जो 'तदेव' शब्द पड़ा है उसका अर्थ ऐसा होता है कि-वही प्रकरणगत एक वस्तु । स्यात् शब्दका अर्थ कथचित् होता है । अर्थात् एक ही वस्तु कथंचित् नाशरूप खभावकरि सहित है। भावार्थ-अनित्य है । यह तो प्रथम पक्षका अर्थ हुआ। दूसरे पक्षका अर्थ ऐसा है कि स्यात् नित्य है अर्थात् जो वस्तु अनित्य थी वही कथंचित् अविनश्वरधर्म सहित है। इन दो पक्षोके कहनेका यह अभिप्राय हुआ कि एक ही वस्तु नित्यानित्यपने करि सहित है अर्थात् कथंचित् नित्यानित्यपना वस्तुका एक प्रकार लक्षण है । यह नित्यानित्यपना वस्तुका एक अंग है । तीसरे पक्षमें जो स्यात् सदृश कहा है उसका अर्थ ऐसा है कि वही एक वस्तु कथंचित् साधारण धर्म विशिष्ट है । जिस समानतारूप धर्मके द्वारा वस्तुके प्रत्येक पर्यायमें तथा अन्य वस्तुओंमें भी समानपना भासता हो उसी धर्मको साधारण धर्म अथवा अनुवृत्तिहेतु सामान्य कहते है। चतुर्थ पक्षका अर्थ ऐसा है कि वहीं एक वस्तु कथंचित् असमान है । जिस धर्मके देखनेसे उस धर्मविशिष्ट वस्तुको अन्य वस्तुओंसे भिन्न समझ सकते है उस धर्मको असमान अथवा विशेष या विसदृश अथवा व्यावृत्तिहेतु असाधारण धर्म कहते हैं। इन दूसरे दो पक्षोके वर्णनसे वस्तुका सामान्यविशेषात्मकपना दूसरा खरूप बताया है।
तथा स्याद्वाच्यं वक्तव्यम् । स्यान्न वाच्यमवक्तव्यमित्यर्थः। अत्र च समासेऽवाच्यमिति युक्तं तथाप्यवाच्यपदं योन्यादौ रूढमित्यसभ्यतापरिहारार्थ न वाच्यमित्यसमस्तं चकार स्तुतिकारः । एतेनाभिलाप्याऽनभिलाप्यस्वरूपस्तृतीयो भेदः। तथा स्यात्सद् विद्यमानमस्तिरूपमित्यर्थः । स्यादसत्तद्विलक्षणमिति । अनेन सदसदाख्या चतुर्थी विधा।
इसी प्रकार पांचवें छटे पक्षोंका यह अर्थ है कि वही वस्तु कथंचित् वाच्य है तथा कथंचित् नहीं वाच्य है; अर्थात् अवक्तव्य है। यहांपर श्लोकमें यदि स्तुतिकर्ता चाहते तो 'वाच्य नहीं' इन दो शब्दोंकी जगह 'अवाच्य' ऐसा संक्षिप्त एक शब्द भी] कहसकते थे परंतु लोकमें अवाच्य शब्दका अर्थ कुत्सित योनि आदिक होता है इसलिये संक्षिप्त एक शब्द न कहकर नहीं वाच्य | ऐसे दो शब्द ही कहे हैं। इन तृतीय दो पक्षोके कहनेसे वस्तुका ऐसा खरूप प्रतिभासित होता है कि वस्तुको कथंचित् तो| वचनद्वारा कहसकते है और कथंचित् कह ही नहीं सकते है। इसी प्रकार सातवें तथा आठवें भंगोसे यह दिखाते है कि वस्तु