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याद्वादमं.
इत्यादि जो वेदवाक्य है, उनसे भी परमब्रह्मकी सिद्धि होती है। और कृत्रिम (पुरुषप्रणीत) आगमने भी उसी परमब्रह्मका राजै.शा.
कप्रतिपादन किया है। सो ही कहा है कि,-" यह सब ब्रह्म है, यहा नानारूपका धारक कोई नहीं है, उसके प्रपंचको सब ॥१०॥ देखते है, परंतु उसको कोई नहीं देखता है । १।"
| प्रमाणतस्तस्यैव सिद्धेः परमपुरुष एक एव तत्त्वम्, सकलभेदानां तद्विवर्त्तत्वात्। तथा हि-सर्वे भावा ब्रह्मविवMrः सत्वैकरूपेणान्वितत्वात् । यद्यद्रूपेणान्वितं तत्तदात्मकमेव । यथा घटघटीशरावोदञ्चनादयो मृद्रूपेणैकेनान्विसता मृद्विवर्ताः। सत्वैकरूपेणान्वितं च सकलं वस्तु । इति सिद्धं ब्रह्मविवर्तित्वं निखिलभेदानामिति ।। | इस पूर्वोक्त प्रकारसे प्रत्यक्ष अनुमान तथा आगम प्रमाणद्वारा वह परमब्रह्म ही सिद्ध होता है, इसकारण एक परमब्रह्म ही तत्त्व है, क्योंकि; सब भेद उसीके विवर्त पर्याय है अर्थात् ब्रह्मरूप है । सो ही अनुमानका प्रयोग है कि,- सब पदार्थ ब्रह्मके विवर्त्त हैं, क्योंकि सत्वरूपी एकरूपसे अन्वित ( संबंधको प्राप्त ) है । जो जिस रूपसे अन्वित होता है वह उसीरूप होता |
हे । जैसे-घट, गागर, सकोरा, ढकना इत्यादि पदार्थ एक मृत्तिकारूपसे अन्वित है; इसकारण मृत्तिकाके विवर्त ( पर्याय ) है। ॐ अर्थात् मृत्तिकारूप है । और जगत्के समस्त भेद (पदार्थ ) सत्त्वरूपी एकरूपसे अन्वित है । इस पूर्वोक्त प्रकारसे सब पदार्थोंका ४ ब्रह्मविवर्तित्व (ब्रह्मका पर्यायपना) सिद्ध हो चुका । म तदेतत्सर्व मदिरारसास्वादगद्गदोद्गदितमिवाभासते विचारासहत्वात् । सर्वे हि वस्तु प्रमाणसिद्धं न तु वाङ्मापुत्रेण । अद्वैतमते च प्रमाणमेव नास्ति तत्सद्भावे द्वैतप्रसङ्गात् । अद्वैतसाधकस्य प्रमाणस्य द्वितीयस्य सद्भावात् ।
अथ मतं-लोकप्रत्यायनाय तदपेक्षया प्रमाणमप्यभ्युपगम्यते । तदसत तन्मते लोकस्यैवासभ्मवात् । एकस्यैव पु नित्यनिरंशस्य परब्रह्मण एव सत्वात् । ॐ सो यह वेदातियोंका उपर्युक्त सब कथन मदिराके रसका आखादन करके गद्गद हुए पुरुषके प्रलाप करनेके समान जान पडता है, + क्योंकि, उक्त कथन हमारे विचारोंको नहीं सह सकता है। क्योंकि, समस्त ही पदार्थ जब प्रमाणद्वारा सिद्ध होजाते है तभी वे सिद्ध ॥१०४॥ १ अर्थात् पदार्थरूप समझे जाते है और केवल उनका कथन करनेसे वे पदार्थ सिद्ध नहीं होते है । और अद्वैत मतमें तो प्रमाण ॐ ही नहीं है क्योंकि यदि अद्वैतमतमें प्रमाणका अस्तित्व मान लिया जाये तो अद्वैतको सिद्ध करनेवाले प्रमाणरूप दूसरे पदार्थका