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वैद्यकी रोगीको लंघन कराना, कटुकौषधि देना आदि क्रिया परिणामसुंदर हैं अर्थात् शुभपरिणामोंसे की हुई है अथवा अंतमें उत्तम | फलकी धारक है; उसी प्रकार जिनमदिर बनवाने आदिरूप जो भव्यजीवोंकी चेष्टा है; वह भी पृथिवी आदि जीवोंकी वाधाका योग होनेपर भी शुभ परिणामोंसे उत्पन्न हुई तथा शुभफलकी धारक है । ३ ।” | वैदिकवधविधाने तु न कंचित्पुण्यार्जनानुगुणं गुणं पश्यामः । अथ विप्रेभ्यः पुरोडाशादिप्रदानेन पुण्यानुवन्धी जगणोऽस्त्येव इति चेत-नापवित्रसुवर्णादिप्रदानमात्रेणैव पुण्योपार्जनसम्भवात् । कृपणपशुगणव्यपरोपणसमुत्थमां
सदानं केवलं निपुणत्वमेव व्यनक्ति । अथ न प्रदानमात्रं पशुवधक्रियायाः फलं किन्तु भूत्यादिकम् । यदाह श्रुतिः" श्वेतं वायव्यमजमालभेत भूतिकामः” इत्यादि । एतदपि व्यभिचारपिशाचग्रस्तत्वादप्रमाणमेव । भूतेश्चौपयिकान्तरैरपि साध्यमानत्वात् । अथ तत्र सत्रे हन्यमानानां छागादीनां प्रेत्य सद्गतिप्राप्तिरूपोऽस्त्येवोपकार इतिचेत् वाङ्मात्रमेतत् । प्रमाणाऽभावात् । न हि ते निहताः पशवः सद्गतिलाभमुदितमनसः कस्मैचिदागत्य तथाभूतमात्मानं कथयन्ति । अथास्त्यागमाख्यं प्रमाणम् । यथा--" औषध्यः पशवो वृक्षास्तिर्यञ्चः पक्षिणस्तथा। यज्ञार्थ निधनं प्राप्ताः प्राप्नुवन्त्युच्छ्रितं पुनः।१।" इत्यादि। नैवम् । तस्य पौरुषेयाऽपौरुषेयविकल्पाभ्यां निराकरिष्यमाणत्वात्।
और वेदोक्त हिंसाके करनेमें तो हम पुण्यको उपार्जन करने योग्य कोई भी गुण नहीं देखते है । यदि कहो कि यज्ञमें जो ब्राह्मणोंको पुरोडाश ( होम करनेके पश्चात् बचा हुआ द्रव्य ) आदि दिया जाता है; उससे पुण्यकी प्राप्तिरूप गुण है ही । सो नहीं । क्योंकि, पवित्र ऐसा जो सुवर्णआदि द्रव्य है, उसके देनेसे ही पुण्यका उपार्जन हो सकता है । विचारे पशुओंके समूहको मारनेसे उत्पन्न हुए ऐसे मांसका देना तो केवल घृणा ( ग्लानि ) रहितपना ही प्रकट करता है । यदि कहो कि; वेदोक्तरीतिसे l | पशुवध करनेका ब्राह्मणोंको पुरोडाश आदि देनेमात्र ही फल नहीं है, किन्तु भूति ( ऐश्वर्य ) की प्राप्ति आदिक भी फल है; क्योंकि श्रुतिमें कहा है कि-" ऐश्वर्य प्राप्त होनेकी इच्छा रखनेवाला यज्ञमें वायु देवताके अर्थ श्वेत (सफेद ) वर्णके बकरेका || होम करे " इत्यादि । सो यह कहना भी व्यभिचाररूपी पिशाचसे ग्रसित होनेके कारण प्रमाणरहित ही है । क्योंकि; भूतिकी प्राप्ति अन्य २ उपायोंसे भी सिद्ध हो सकती है। यदि कहो कि उस यज्ञमें मारे जानेवाले जो बकरे आदि पशु है; वे मरण करके
१. हुतशेषः।
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