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तदनंतर महाकाव्य ,आख्या यिका, कथा आख्यान, निदर्शन प्रवाहिका, मतल्लिका, मणिकुल्या, परिक्या, खण्डकथा, सकलकथा, उपकथा, बृहत्कथा तथा चम्पू इन अव्य काव्यों का सलक्षप विवेचन किया गया है। अन्त में मुक्तक, सन्दा नितक, विशेषक, कलापक, कुलक व कोश का सलक्षप विवेचन
है।
इस प्रकार काव्य शास्त्र के सभी अंगों का सविस्तार विवेचन "काव्यानुशासन में प्राप्त होता है।