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अधिक कहा है। व्यजकों के निरूपण में भी मम्मट से पूर्ण समानता है । ' आ. हेमचन्द्र लिखते हैं कि वर्ग के प्रथम और तृतीय वर्षों का क्रमश: द्वितीय और चतुर्थ वर्ष के साथ योग, रेफ और तुल्यवर्ष से युक्त वर्ष तथा ट वर्ग और श, ष, वर्ष, दीर्घसमासवाली और कठोर (उद्धत ) रचना ओजगण की व्यञ्जक है। 2 आगे उन्होंने लिखा है कि प्रथम वर्ष द्वितीय वर्ष तथा तृतीय वर्ष मे चतुर्थ वर्ष के मिले हुए वर्ष, नीचे उमर या दोनों जगह किसी भी वर्ष के साथ रेफ का संयोग, तुल्यवर्षों का संयोग, पकाररहित ट वर्ग ( ट ठ ड ढ ) श, ष का संयोग और दीर्घसमासवाली कठोर रचना ओजगुण की व्य-जक है। 3
1. "योग आद्यतृतीयाभ्यामन्त्ययो रेप तुल्ययो: । टादिः वृत्तिदैर्ध्य गुम्फ उद्धत ओजति ।। "
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काव्यप्रकाश, 8/75
2. "आधतृतीयाक्रान्तौ द्वितीयतुर्यो युक्तो रेफस्तुल्यश्च टवर्गशषा वृत्तिदैर्घ्यमुदुता गुम्पश्चात्र । ।
काव्यानुशासन, 4/6
3. आधेन द्वितीयन्तृतीयेन चतुर्थ आकान्तो वर्षस्तथाथः उपरि उभयत्र वा येन केनचित्संयुक्तो रेफस्तुलयश्च वर्षो वर्षेन युक्तस्तथा टवर्गोऽर्थापिका रवर्ज, शो चा दीर्घः समाप्तः, कठोरा रचना च । अत्रौजसि । ओजसौ व्यजिकेत्यर्थः ।
काव्यानु, वृत्ति, पृ. 291