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यह गांश समासबहुल होने ते "ओज' गुप का उदाहरप हैं।
मार्य और तौकुमार्य - सरत अर्थ के बोधक पदों का प्रयोग माधुर्य गुप है और कोमल-कान्त - पदावली कामयोग सौकुमार्य गुपं है।' माधुर्य, यथा -
फपिमणिकिरपालीत्यतकचन्निचोल :। कुचकलशनिधानत्येव रक्षाधिकारी उरति विशदहारस्फारतामुज्जिहानः । किमिति करसरोजे कुण्डली कुण्डलिन्याः।।2
यहाँ श्रृंगाररत के अनुकूल सरत अर्थ के बोधक पद होने से माधुर्य गुष है। सौकुमार्य, यथा -
प्रतापदीपाचनरा जिरेव देव! त्वदीयः करवाल एषः। नो चोदनेन द्विषतां मुनानि श्यामायमानानि कर्य कृतानि।।'
यहां कोमलकान्त पदावली होने से सौकुमार्य गुण है।
1. सरतार्थपदत्वं यत्तन्माधुर्यमुदादास। अनिष्ठुरारित्वं यत्तीकुमार्यमिई यया।।
पही, 3/15 . वाग्भटालंकार /16 , वाग्म्टाकार, 3/17