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________________ बेलगाम जिला। ममबरवानी ग्राममें हैं। दूसरा शिलालेख उन्हीं ऐतिहासिक बातोंको प्रगट करता हुआ इसी मंदिरके लिये उसी दिन उन्हीं शुभचन्द्र भट्टारककी सेवामें दूसरी भूमियोंके दानको कहता है जो बेलगाममें थीं इसमें कार्तवीर्यकी स्त्रीका नाम पद्मावती है । इस किलेके विषयमें यह प्रसिद्ध है कि इसको जैन राजाने बनवाया था। (नोट-बेलगामके जैनियोंसे मालूम हुआ कि एक दफे कोई जैन मुनिसंघ वेणुग्राममें आया था-तब खबर पाकर राजा और पञ्चलोग रात्रिको ही मशालें जलाकर दर्शन करनेके लिये गए। मुनि मब ध्यानस्थ मौन थे पीछे लौटते हुए अन्तमें जो मशालवाला था उसकी मशालकी लौ किसी वांससे लग गई। इस बातपर किसीने ध्यान न दिया सब चले आए वह आग बढ़ती हुई फैल गई और जिन वासोंके मध्यमें मुनि गण ध्यान कर रहे थे वहां तक फैल गई और उसने ध्यानम्थ मुनियोंके शरीरोंको दग्ध कर दिया । मुनियोंने ध्यान नहीं छोड़ा। दूसरे दिन जब यह खबर प्रगट हुई तो महान शोक व दुःख हुभा । इस प्रमादके दोषके मिटानेके लिये राना और पंचोंने यह प्रायश्चित लिया कि १०८ जैन मंदिर बनवाए नावें । कहते हैं इस किलेमें १ ० ८मिन मंदिर छोटे या बड़े बनवाए गए थे। बेलगाममें अब भी बहुत जेनी हैं व कई जैन मंदिर हैं। इस किलेकी कमलवस्तीमें एक प्रतिमा विराजित है जिसकी सेवा पूना श्रीयुत देवेन्द्र लोकप्पा चौगुले लकड़ीके व्यापारी बेलगाम फोर्ट करते हैं। (Indian antiquary V. IV P. 34) में बेलगाम शहरके सम्बंधमें लिखा है कि प्राचीन बेलगामको जैन राजाने बसाया था। जनकवि परसिज भवनंदन बेलगाम
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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