SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मासिक जिला। [६१ बन जिसमें गुफाएं हैं व रामचंद्रजीका मंदिर है । (३) पश्चिमकी तरफ ६ मील गोवर्डन या गङ्गापुरकी प्राचीन वस्ती जहां बहुत सुन्दर पानीका झरना है। (४) जैन चंभार लेन गुफाएं (यही श्री गनपंथजी तीर्थ है) (५) पांडु लेना या बौद्धोंकी गुफाएं ये एक पहाड़ीमें हैं । बम्बईकी सड़कके निकट । इनको शिलालेखोंमें निरन कहा गया है । ये बौद्ध गुफाएं सन ई० २५० वर्ष पूर्वसे ६०० ई० तककी हैं। इनमें बहुतसे शिलालेख अन्ध्रों, क्षत्रपों व दूसरे वंशोंके हैं । पश्चिमीय भारतमें ये लेख मुख्य हैं व इनसे प्राचीन इतिहासका पता चलता है। इन्हीं पांडु लेना गुफाओंमें नं० ११ की जो गुफा है उसमें नीलवर्णकी श्री रिषभदेवकी जैन मूर्ति बिराजित है । पद्मासन २ फुट ३ इन्च ऊंची है। मालूम होता है ११ वीं शताब्दीमें दि० जैनोंका यहां प्रभुत्व या । (नासिक गनेटियर नं० सोलह सफा ५८१) (नोट-भा० दि० जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी बम्बईको इस गुफाकी रक्षा करनी चाहिये )। ___ इसी गजटियरके सफा ५३५ में है कि ११ वी व १२ वीं शताब्दीमें नासिक जैनधर्मके महत्वसे व्याप्त था । इस नासिकका प्राचीन नाम पद्मनगर और जनस्थान या । यही वह स्थान है जहां मुवर्णनखा खरदूषणकी स्त्रीका मिलाप श्री रामचंद्रजीसे हुआ था। प्राचीन कालमें यहां श्री चन्द्रप्रभु भगवानका जैन मंदिर था जिसको अव कुन्तीविहार कहते हैं। (६) चंभार लेना या श्री गजपंथा तीर्थ-नासिकनगरसे ५ मा ६ मील एक पहाड़ी है जो ६०० फुट ऊंची है ऊपर जानेको १७३ सीढ़िया बनी हैं। यहां प्राचीन जैन गुफाएं हैं अब भी
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy