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________________ [४७ ww काठियावाड (सौराष्ट्रदेश)। इमारतके नीचे १ भौंरा है जो ३५ फुटसे ४७॥ फुट है इसके ६ कमरे हैं । यह पाषाणका बना है । नोट-इसको अच्छी तरह जांचना चाहिये । (४) वधवान-यहां नगरके पूर्व नदी तटपर श्री महावीरस्वामीका जैन मंदिर ११ वीं शदीका है । इसका प्राचीन नाम श्री वर्धमानपुर है। (५) गोरखमढ़ी-उत्तरकी तरफसे जानेपर एक गुफाका मंदिर आता है जिसमें गोरखनाथ और मच्छेन्द्रनाथकी मूर्तियें हैं। यह गुफा ३० फुट लम्बी चौडी है शायद यह गिरनार पहाड़पर है। (६) वाबडियावाड-या सुजालबेट-यहां बहुतसी ध्वंश वावडिया हैं खण्डित मकानोंकी वस्तुओं व लेखोंसे प्रगट होता है कि यह एक ऐश्वर्यशाली नगर था। इस द्वीपके खेतोंमें ४ संगमर्मरकी मूर्तियां पड़ी हैं जिनपर नीचेके लेख हैं। (१) सं० १३०० वर्षे वैशाख वदी ११ बुधे सहजिगपुर वास्तव्य पल्लीनातीय ट० देदाभार्या कड़ देविकुक्षि संभूत परी० महीपाल महीचन्द्र तत्सुत रतनपाल विजयपालै निज पूर्वज ठ० शंकर भार्या लक्ष्मी कुक्षि संभूतस्य संघपति मुधिगदेवस्य निन परिवार सहितस्य योग्य देव कुलिका सहित श्री मल्लिनाथ बिम्ब कारितं प्रतिष्ठित श्री चन्द्र गच्छीय श्री हरिभद्र सूरिशिष्यैः श्री यशोभद्रसूरिभिः ॥ छा" मङ्गलं भवतु ॥ छः (२) संवत १३१५ वर्ष फागुण वदी ७ शनौ अनुराधा नक्षत्रेऽघेह श्री मधुमत्यां श्री महावीर देव चैत्ये प्राग्वाट ज्ञातीय
SR No.010444
Book TitlePrachin Jain Smaraka Mumbai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1982
Total Pages247
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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